VARANASI CORONA TRAILकल सोमवार से ही ट्रायल शुरू किया जा सकता है, कोरोना मरीजों का शिरीषादि कसाय (काढ़ा) से इलाज के ट्रायल की मंजूरी
VARANASI CORONA TRAILकल सोमवार से ही ट्रायल शुरू किया जा सकता है, कोरोना मरीजों का शिरीषादि कसाय (काढ़ा) से इलाज के ट्रायल की मंजूरी
Varanasi | आयुष मंत्रालय द्वारा बीएचयू को कोरोना मरीजों पर शिरीषादि कसाय (काढ़ा) के ट्रायल की मंजूरी दे चुका है । आधुनिक दवा व आयुर्वेद के विशेषज्ञ व वैज्ञानिकों की निगरानी में सोमवार से ही ट्रायल शुरू किया जा सकता है । लंबे इंतजार के बाद हालात को देखते हुए 20 जुलाई को प्रोजेक्ट में शामिल सदस्यों की अहम बैठक बुलाई गई है। इसमें ट्रायल शुरू करने को औषधियों की उपलब्धता व चिन्हित मरीजों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा । फंड जारी न होने के कारण मामला आगे नहीं बढ़ पाया था । तो इस बैठक में फंड के बिना ही काम शुरू करने पर भी विचार होगा । इसके तहत बीएचयू अस्पताल में भर्ती होने वाले वयस्क मरीजों को शिरीषादि कसाय (काढ़ा) दिया जाएगा । औषधि से मरीजों के ठीक होने की दर व उसके असर का तीन माह तक अध्ययन करने के बाद विस्तृत रिपार्ट तैयार कर मंत्रालय भेजी जाएगी । प्रोजेक्ट टीम में माडर्न मेडिसिन से प्रो. जया चक्रवर्ती व डा. अभिषक पांडेय, आयुर्वेद से वैद्य सुशील दुबे, डा. अजय पांडेय एवं बतौर वैज्ञानिक प्रो. वाइबी त्रिपाठी, डा. नेहा गर्ग शामिल हैं । आयुर्वेद संकाय बीएचयू के वैद्य सुशील दुबे के मुताबिक चरक सूत्र-25 में शिरीष को विषनाशक बताया गया है। वायरस का असर खत्म करने को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता लड़ती है और कमजोर पड़ जाती है। यह काढ़ा वायरस का असर समाप्त करता है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है । आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. वाइबी त्रिपाठी के मुताबिक बीएचयू में डा. एसएन त्रिपाठी के नेतृत्व में 1980 में श्वांस रोग के लिए यह औषधि खोजी गई थी । महामारी में दवा खोजने का समय नहीं होता इसलिए पुरानी दवा के पुन: उपयोग (री-पर्पजिंग) का प्रस्ताव दिया है । बायो-इंफार्मेशन टूल के माध्यम से कोरोना वायरस के प्रोटीन और उसके रिसेप्टर पर इन औषधियों के सीधे असर का भी अध्ययन किया जा रहा है । शिरीषादि कसाय, शिरीष संग वसा, मुलेठी, तेजपत्ता व कंडकारी का मिश्रण है। मुलेठी कफ को बाहर निकालती है और वह बुद्धिवद्र्धक भी है । तेजपत्ता भूख बढ़ाने के साथ पेट साफ करता है ।
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