VARANASI NEWS :- शहर में बंदरों का आतंक एक बार फिर बढ़ा, हर महीने 20 से 25 बंदरों के काटने के मामले
VARANASI NEWS :- शहर में बंदरों का आतंक एक बार फिर बढ़ा, हर महीने 20 से 25 बंदरों के काटने के मामले
VARANASI| बंदरों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है । बंदरों की आदत में शुमार नोंचने, बकोटने, काटने, खाने से जनता त्रस्त है । शहर में बंदरों का आतंक एक बार फिर से बढ़ने लगा है । आवारा पशुओं के साथ बंदरों का आतंक बड़ी समस्या बन गयी है ।
अब लोग नगर निगम के अफसरों से मदद की गुहार लगा रहे है । हालांकि शहर को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम ने जिम्मा उठाया है। लेकिन अब तक कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है ।
नगर निगम ने मथुरा से बंदरों को पकड़ने वाले सिकंदर को बुलाया है । इधर कुछ दिनों से बंदरों ने पूरे शहर में आंतक फैला दिया है । दुकान, मकान, मंदिर, पार्क के साथ करीब-करीब हर जगह बंदरों ने डेरा डाल रखा है ।
मौके का फायदे उठाते हुए ये बंदर घरों में घुस जाते हैं । जिसके बाद सामान आदि नष्ट कर दे रहे हैं । वहीं कार्यालयों का कागजात आदि बर्बाद कर देते हैं । मौका मिलते ही बंदर अपने नुकीले दांत से लोगों पर झपट्टा मार देते हैं ।
ये सब सिर्फ दिन में नहीं रात में भी हो रहा है । अमूमन बंदरों का आतंक गर्मी में ज्यादा बढ़ता है, लेकिन कोरोना के चलते बंदरों को खाने-पीने की समस्या हो रही है । कंक्रीट के जंगल में तब्दील शहर में हरियाली नाम मात्र की है ।
इसलिए बंदरों ने इंसानी बस्तियों को अपना ठिकाना बना लिया है । शहर की पॉश कॉलोनियों से लेकर पुराने मोहल्ले तक में इनके झुंड रहते हैं ।
मथुरा के सिकंदर ने पकड़े थे 300 रूपए प्रति बंदर
बंदरों की सही संख्या का पता किसी को नहीं हैं। लेकिन लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा बंदर शहर के अलग-अलग इलाकों में डेरा जमाए हैं । बंदरों को शहर से दूर करने के लिए नगर निगम ने मथुरा के सिकंदर को जिम्मेदारी दी थी ।
बंदरों को पकड़कर मिर्जापुर और नौगढ़ के जंगलों में छोड़ देते थे । कुछ दिनों तक तो 300 रूपए में प्रति बंदर के हिसाब से पकड़ने का काम किया था । रुपयों के लेन-देन में उसने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया ।
जिसकी वजह से इधर बीच बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है । बंदरों के आतंक की वजह से अस्पतालों में बंदरों के काटने के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं ।
पिछले एक महीने से मंडलीय व दीनदयाल अस्पताल में 20 से 25 बंदरों के शिकार लोग पहुंच रहे हैं । वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल में यह संख्या 40 से ऊपर है ।
अपने ही घर में नजरबंद
बंदरों के आतंक से लोगों को अपने ही घर में नजरबंद रहना पड़ रहा है । बंदरों के डर से बच्चे बाहर खेलने की बजाय घरों में कैद रहने को मजबूर हैं । बंदर इतने स्मार्ट हो चुके हैं कि दरवाजों के लॉक को भी खोल लेते हैं और घर में घुसकर धमाचौकड़ी करते हैं ।
किचन में घुसकर खाने का सामान तक उठा ले जाते हैं । यहां तक की फ्रिज भी खोलने की कला इन्हें मालूम है ।
इन क्षेत्रों में है बंदरों का आतंक
शहर के लोहटिया, बड़ा गणेश, हरतीरथ, मैदागिन, चेतगंज, नदेसर, दुर्गाकुंड, लंका, साकेत नगर, सुंदरपुर, सोनारपुरा, दशाश्वमेध, सिगरा, महमूरगंज, कैंट, औरंगाबाद, लक्ष्मी कुंड समेत शहर के विभिन्न इलाकों में बंदरों का आतंक ज्यादा है ।
कोरोना के चलते पशु बंदी अभियान प्रभावित हुआ है । लॉकडाउन में मिली छूट के बाद पशु बंदी अभियान चलाया जा रहा है ।
बंदरों को पकड़ने के लिए मथुरा के सिकंदर से संपर्क किया गया है । वह अपनी पूरी टीम के साथ इस महीने में आ जाएंगे ।
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